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ज्वार की बुवाई, भूमि तैयारी व उन्नत किस्मों की जानकारी

ज्वार की बुवाई, भूमि तैयारी व उन्नत किस्मों की जानकारी

भारत के अंदर ज्वार की खेती आदि काल से होती आ रही है। भारत में ज्वार की खेती मोटे दाने वाली अनाज फसल और हरे चारे के रूप में की जाती है। 

पशुओं के चारे के तोर पर ज्वार के सभी भागों का उपयोग किया जाता है। यह एक तरह की जंगली घास है, जिसकी बाली के दाने मोटे अनाजों में शुमार किए जाते हैं। ज्वार (संस्कृत रूयवनाल, यवाकार या जूर्ण) एक प्रमुख फसल है। 

ज्वार की पैदावार कम बारिश वाले इलाकों में अनाज और चारा दोनों के लिए बोई जाती हैं। ज्वार जानवरों का एक विशेष महत्वपूर्ण एवं पौष्टिक चारा है। 

भारत में यह फसल का उत्पादन करीब सवा चार करोड़ एकड़ जमीन में किया जाता है। ज्वार भी बहुत तरह की होती है, जिनके पौधों में कोई खास भेद नजर नहीं पड़ता है। ज्वार की फसल दो तरह की होती है, एक रबी, दूसरी खरीफ। 

मक्का भी इसी का एक प्रकार है। इसलिए कहीं-कहीं मक्का भी ज्वार ही कहलाता है। ज्वार को जोन्हरी, जुंडी आदि नामों से भी जानते हैं। ज्वार की खेती सिंचित और असिंचित दोनों इलाकों पर आसानी से की जा सकती है। 

अगर हम अपने भारत की बात करें, तो ज्वार की खेती खरीफ की फसलों के साथ की जाती है। ज्वार के पौधे 10 से 12 फिट की लंबाई तक के हो सकते हैं। इनको हरे रूप में कई बार काटा जा सकता है। 

इसके पौधे को किसी खास तापमान की आवश्यकता नही होती। अधिकांश किसान भाई इसकी खेती हरे चारे के तोर पर ही करते हैं। परंतु, कुछ किसान भाई इसे व्यापारिक रूप से भी उगाते हैं। 

अगर आप भी ज्वार की व्यवसायिक खेती करने का मन बना रहे हैं। हम आपको इसकी बुवाई, भूमि तैयारी व उन्नत किस्मों से जुड़ी जरूरी जानकारी प्रदान करेंगे।

अच्छी उपज के लिए ज्वार की बुवाई कब करें ?

भारत के अंदर ज्वार की खेती खरीफ की फसलों के साथ की जाती है। अब ऐसे में ज्वार के बीज की रोपाई अप्रैल से मई माह के अंत तक की जानी चाहिए। भारत में ज्वार को सिंचाई करके वर्षा से पहले एवं वर्षा शुरू होते ही इसकी बोवाई की जाती है। 

अगर किसान बरसात से पहले सिंचाई करके यह बो दी जाए, तो फसल और अधिक तेजी से तैयार हो जाती है। ज्वार के बीजों को अंकुरण के समय सामान्य तापमान की आवश्यकता होती है। 

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उसके बाद पौधों को विकास करने के लिए 25 से 30 डिग्री तापमान उपयुक्त होता है। परंतु, इसके पूरी तरह से विकसित पौधे 45 डिग्री तापमान पर भी सहजता से विकास कर लेते हैं।

ज्वार की खेती के लिए कौन-सी मिट्टी सबसे अच्छी है ?

ज्वार एक खरीफ की मोटे आनाज वाली गर्मी की फसल है। यह फसल 45 डिग्री के तापमान को झेलकर बड़ी आसानी से विकास कर सकती है। वैसे तो ज्वार की फसल को किसी भी प्रकार की भूमि में उगाया जा सकता है। 

लेकिन, अधिक मात्रा में उपज प्राप्त करने के लिए इसकी खेती उचित जल निकासी वाली चिकनी मृदा में करें। इसकी खेती के लिए जमीन का पीएच मान 5 से 7 के बीच होना चाहिए। 

इसकी खेती खरीफ की फसल के साथ की जाती है। उस समय गर्मी का मौसम होता है, गर्मियों के मौसम में बेहतर ढ़ंग से सिंचाई कर शानदार उपज हांसिल की जा सकती है।

बेहतर उपज के लिए ज्वार की उन्नत किस्में 

आज के समय में ज्वार की महत्ता और खाद्यान्न की बढती हुई मांग को मद्देनजर रखते हुए कृषि वैज्ञानिकों ने ज्वार की ज्यादा पैदावार और बार-बार कटाई के लिए नवीनतम संकर और संकुल प्रजातियों को विकसित किया है। ज्वार की नवीन किस्में तुलनात्मक बौनी हैं एवं उनमें अधिक उपज देने की क्षमता है। 

अनुमोदित दाने के लिए ज्वार की उन्नतशील किस्में सी एस एच 5, एस पी वी 96 (आर जे 96), एस एस जी 59 -3, एम पी चरी राजस्थान चरी 1, राजस्थान चरी 2, पूसा चरी 23, सी.एस.एच 16, सी.एस.बी. 13, पी.सी.एच. 106 आदि ज्वार उन्नत किस्में है। इन किस्मों की खेती हरे चारे और दाने के लिए की जाती है। 

ज्वार की यह किस्में 100 से 120 दिन के समयांतराल में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। इन किस्में से किसानों को 500 से 800 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के अनुरूप पशुओं के लिए हरा चारा हो जाता है। 

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90 से 150 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सूखा चारा प्राप्त हो जाता है। साथ ही, 15 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से दाने हांसिल हो सकते हैं।

ज्वार की बुवाई के लिए खेत की तैयारी 

ज्वार की खेती के लिए शुरुआत में खेत की दो से तीन गहरी जुताई कर उसमें 10 से 12 टन उचित मात्रा में गोबर की खाद डाल दें। उसके बाद फिर से खेत की जुताई कर खाद को मिट्टी में मिला दें। 

खाद को मिट्टी में मिलाने के बाद खेत में पानी चलाकर खेत का पलेव कर दे। पलेव के तीन से चार दिन बाद जब खेत सूखने लगे तब रोटावेटर चलाकर खेत की मिट्टी को भुरभुरा बना लें। 

उसके बाद खेत में पाटा चलाकर उसे समतल बना लें। ज्वार के खेत में जैविक खाद के अलावा रासायनिक खाद के तौर पर एक बोरा डी.ए.पी. की उचित मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से खेत में दें। 

ज्वार की खेती हरे चारे के रूप में करने पर ज्वार के पौधों की हर कटाई के बाद 20 से 25 किलो यूरिया प्रति हेक्टेयर के हिसाब से समय समय पर खेत में देते रहें।

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowering Plants to be sown in Summer)

गर्मियों का मौसम सबसे खतरनाक मौसम होता है क्योंकि इस समय बहुत ही तेज गर्म हवाएं चलती हैं। इनसे बचने के लिए हम सभी का मन करता है की ठंडी और खुसबुदार छाया में बैठ कर आराम करने का। 

यही आराम हम बाहर बाग बागीचो में ढूंढतेहै ,लेकिन अगर आप थोड़ी सी मेहनत करे तो आप इन ठंडी छाया वाले फूलों का अपने घर पर भी बैठ कर आनंद ले सकते है।

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल (Flowers to plant in the summer season:)

गर्मियों के मौसम की एक खास बात यह होती है को यह पौधों की रोपाई के लिए सबसे अच्छा समय होता है। तेज धूप में पौधे अच्छे से अपना भोजन बना पाते है।

साथ ही साथ उन्हें विकसित होने में भी कम समय लगता है। ऐसे में आप गेंदे का फूल , सुईमुई का फूल , बलासम का फूल और सूरज मुखी के फूल बड़ी ही आसानी से अपने घर के गार्डन में लगा सकते है। 

इससे आपको घर पर ही गर्मियों के मौसम में ठंडी और खुसबुदार छाया का आनंद मिल जायेगा।अब बात यह आती है की हम किस प्रकार इन फुलों के पौधों को अपने घर पर लगा पाएंगे। 

इसके लिए सबसे पहले आपको मिट्टी, फिर खाद और उर्वरक और अंत में अच्छी सिंचाई करनी होगी। साथ ही साथ हमे इन पौधों की कीटो और अन्य रोगों से भी रोकथाम करनी होगी। तो चलिए अब हम आपको बताते है आप प्रकार इन मौसमी फुलों के पौधों लगा सकते है।

गर्मियो में फूलों के पौधें लगाने के लिए इस प्रकार मिट्टी तैयार करें :-

mitti ke prakar

इसके लिए सबसे पहले आप जमीन की अच्छी तरह से उलट पलट यानी की पाटा अवश्य लगाएं।खेत को अच्छे से जोतें ताकि किसी भी प्रकार का खरपतवार बाद में परेशान न करे पौधों को।

मौसमी फूलों के पौधों के बीजों के अच्छे उत्पादन के लिए जो सबसे अच्छी मिट्टी होती हैं वह होते हैं चिकनी दोमट मिट्टी।इन फुलों को आप बीजो के द्वारा भी लगा सकते है और साथ ही साथ आप इनके छोटे छोटे पौधें लगाकर रोपाई भी कर सकते हैं। 

इसके अलावा बलुई दोमट मिट्टी का भी आप इस्तेमाल कर सकते है बीजों को पैदावार के लिए। इसके लिए आप 50% दोमट मिट्टी और 30% खाद और 20% रेतीली मिट्टी को आपस में अच्छे से तैयार कर ले। 

एक बार मिट्टी तैयार हो जाने के बाद आप इसमें बीजों का छिड़काव कर दे या फिर अच्छे आधा इंच अंदर तक लगा देवे। उसके बाद आप थोड़ा सा पानी जरूर देवे पौधों को।

गर्मियों में फूलों के पौधों को इस प्रकार खाद और उर्वरक डालें :-

khad evam urvarak

मौसमी फूलों के पौधों का अच्छे से उत्पादन करने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का इस्तमाल करे न की रासायनिक खाद का। रासायनिक खाद से पैदावार अच्छी होती है लेकिन यह खेत की जमीन को धीरे धीरे बंजर बना देती है। 

इसलिए अपनी जमीन को बंजर होने से बचाने के लिए आप घरेलू गोबर की खाद का ही इस्तमाल करे। यह फूलों के पौधों को सभी पोषक तत्व प्रोवाइड करवाती है।

100 किलो यूरिया और 100 किलो सिंगल फास्फेट और 60 किलो पोटाश को अच्छे मिक्स करके संपूर्ण बगीचे और गार्डन में मिट्टी के साथ मिला देवे। खाद और उर्वरक का इस्तेमाल सही मात्रा में ही करे । ज्यादा मात्रा में करने पर फुल के पौधों में सड़न आने लगती है।

गर्मियों में फूलों के पौधों की इस प्रकार सिंचाई करे :-

phool ki sichai

गर्मियों में पौधों को पानी की काफी आवश्यकता होती है। इसके लिए आप नियमित रूप से अपने बगीचे में सभी पौधों की समान रूप से पानी की सिंचाई अवश्य करें। 

पौधों को सिंचाई करना सबसे महत्वपूर्ण काम होता है, क्योंकि बिना सिंचाई के पौधा बहुत ही काम समय में जल कर नष्ट हो जायेगा। 

इसी के साथ यह भी ध्यान रखना चाहिए की गर्मियों के मौशम में पौधों को बहुत ज्यादा पानी की आवश्यकता होती हैं और वहीं दूसरी तरफ सर्दियों के मौसम में फूलों को काफी कम पानी की आवश्यकता होती है। 

इन फूलों के पौधों की सिंचाई के लिए सबसे अच्छा समय जल्दी सुबह और शाम को होता है।सिंचाई करते समय यह भी जरूर ध्यान रखे हैं कि खेत में लगे पौधों की मिट्टी में नमी अवश्य होनी चाहिए ताकि फूल हर समय खिले रहें। क्यारियों में किसी भी प्रकार का खरपतवार और जरूरत से ज्यादा पानी एकत्रित ना होने देवे।

गर्मियों के फुलों के पौधों में लगने वाले रोगों से बचाव इस प्रकार करे :-

phoolon ke rogo se bachav

गर्मियों के समय में ना  केवल पौधों को गर्मी से बचाना होता है बल्कि रोगों और कीटों से भी बचाना पड़ता है।

  1. पतियों पर लगने वाले दाग :-

इस रोग में पौधों पर बहुत सारे काले और हल्के भूरे रंग के दाग लग जाते है। इस से बचने के लिए ड्यूथन एम 45 को 3 ग्राम प्रति लिटर में अच्छे से घोल बना कर 8 दिनों के अंतराल में छिड़काव करे। इस से सभी काले और भूरे दाग हट जाएंगे।
  1. पतियों का मुर्झा रोग :-

इस रोग में पौधों की पत्तियां धीरे धीरे मुरझाने लगती है और बाद में संपूर्ण पौधा मरने लग जाता है।इस से बचाव के लिए आप पौधों के बीजों को उगाने से पहले ट्राइको टर्म और जिनॉय के घोल में अच्छे से मिक्स करके उसके बाद लगाए। इस से पोधे में मुर्झा रोग नहीं होगा।
  1. कीटों से सुरक्षा :-

जितना पसंद फूल हमे आते है उतना ही कीटो को भी। इस में इन फूलों पर कीट अपना घर बना लेते है और भोजन भी। वो धीरे धीरे सभी पतियों और फुलों को खाना शुरू कर देते है। इस कारण फूल मुरझा जाते है और पोधा भी। इस बचाव के लिए आप कीटनाशक का प्रति सप्ताह 3 से 4 बार याद से छिड़काव करे।इससे कीट जल्दी से फूलों और पोधें से दूर चले जायेंगे।

गर्मियों में मौसम में इन फुलों के पौधों को अवश्य लगाएं अपने बगीचे में :-

गर्मियों के मौसम में लगाए जाने वाले फूल - सूरजमुखी (sunflower)
  1. सुरजमुखी के फुल का पौधा :-

सूरजमुखी का फूल बहुत ही आसानी से काफी कम समय में बड़ा हो जाता है। ऐसे में गर्मियों के समय में सुरज मुखी के फूल का पौधा लगाना एक बहुत ही अच्छी सोच हो सकती है। 

आप बिना किसी चिंता के आराम से सुरज मुखी के पौधे को लगा सकते हैं। गर्मियों के मौसम में तेज धूप पहले से ही बहुत होती है और सूरज मुखी को हमेशा तेज धूप की ही जरूरत होती हैं।

  1. गुड़हल के फूल का पौधा :-

गर्मियों के मौसम में खिलने वाला फूल गुड़हल बहुत ही सुंदर दिखता है घर के बगीचे में।गुड़हल का फूल बहुत सारे भिन्न भिन्न रंगो में पाया जाता हैं। 

गुड़हल का सबसे ज्यादा लगने वाला लाल फूल का पौधा होता है। यह न केवल खूबसूरती के लिए लगाया जाता है बल्कि इस से बहुत अच्छी महक भी आती है।

  1. गेंदे के फूल का पौधा :-

गेंदे का फूल बहुत ही खुसबूदार होता है और साथ ही साथ सुंदर भी। गेंदे के फूल का पौधा बड़ी ही आसानी से लग जाता है और इसे आप अपने घर के गार्डन में आराम से लगाकर सम्पूर्ण घर को महका सकते है।।

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  1. बालासम के फूल का पौधा :-

बालासाम का पौधा काफी सुंदर होता है और इसमें लगने वाले रंग बिरंगे फूल इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं। यह फूल बहुत ही कम समय में खेलना शुरू हो जाते हैं यानी की रोपाई के बाद 30 से 40 दिनों के अंदर ही यह पौधा विकसित हो जाता है और फूल खिला लेता है।